Thursday, 21 January 2016

दहशत बम की A write up on terrorism




घर  से  बाहर  निकलने  से  डरने  लगे  है  हम ,ना जाने  कब  कहा  से  फूट  जाये  कोई  बम !
फैला  चारो  और  नफरत  का  बाजार ,इंसान  -इंसान  को  मारने को  क्यों  है  बेकरार !

तूने  तो भेजा  धरती  पर  सीधा सच्चा   बन्दा ,प्यार  छोड़ . नफरत  में  कैसे  बन  गया  वो  अँधा
नफरत  के  ढेकेदारों   क्यों  आतंक  फैला  रहे  हो  यहाँ ,नहीं  मालूम क्या  तुम्हे  भी  इक  दिन  जाना  है  वहाँ  !

देना  पड़ेगा  जहां  अपने  कुकर्मो  का  हिसाब , क्यों  पापो  से  भरते  जा  रहे तुम  अपनी  किताब !
मासूमो  को  मार  कर  क्या  बताना  चाहते  हो ,दहशत  फैला   क्या  तुम  हमें  डराना  चाहते  हो ?

सोचो  इक  बार   फोड़ने  से  पहले  बम ,उसी  अल्लाह के  भेजे  हुए  बन्दे  है  सब हम !

धर्म  के  नाम  पर    खेलो  ये  गन्दा  खेल ,बंद  करो  ये  सब  आपस  में  कर  लो  मेल !

नफरत  और  आतंक  फैलाने  से  खुदा खुश  नहीं  होगा ,देख  तुम्हारी   दुश्मनी   रब ( ईश्वर ) भी  रोता  होगा !
सोचता होगा वो भी  क्यों  बनाया  मैंने  संसार , भेजा  था  धरती  पर  मैंने  तो  इंसान !
फिर  क्यों  कैसे  और  कब  बन  गया  वो  हैवान !
छोटी  सी  है  ज़िन्दगी  बेकार  में  बर्बाद    करो ,बम  फोड़  मासूमो  के  खून  से  हाथ   लाल    करो !
नहीं  रखा  कुछ भी  इस  खून  खराबे में , प्यार  से बैठ  सब  मसले  सुलझा  लो   आपस  में  !
तोड़  डालो  अब  मजहब  की  ये  बेड़ियाँ , मिटा  डालो   नफरत  भरी ये  दूरियाँ

आओ  मिलकर  दुःख - सुख अपना  बाँट  ले  हम ,लिखो  प्यार  के  गीत    बनाओ  अब  कोई  भी  बम!


Poem on terrorism 
Ghar se bahar nikalane se darne lage hai hum
Na Jane kab kaha se phoot jaye koi bomb
Phaila charo aur nafrat ka bazar
Insaan Insaan ko Marne ko kyon hai bekrar

Tune toh bheja dharti par seetha sacha Banda
Pyar Chodh. Nafrat mein Kaise ban Gaya vo andha
Nafrat ke dhekedaro  kyon atank phaila rahe ho Yaha
Nahi maloom tumhe bhi ek din jana hai waha 

Dena padega jaha apne kukarmo ka hisab
Kyon papo se bharte ja rahe tum apni kitab
Masoomo ko mar kar Kya batana chahte Ho
Dehshat phaila kar Kya tum hame darana chahte Ho

Sochna ek baar phodane se pehle bomb
Usi alah ke bheje hue bande hai  sab hum

Dharm ke Naam par na khelo Ye Ganda khel
Band karo Ye sab apas mein kar lo mail

Nafrat aur atank phailane se khuda khush nahi hoga
Dekh tumahari  dushmani Rab ( God)  bhi rota hoga
Sochta hoga vo kyon banaya Maine sansar
Bheja tha dharti par Maine to Insaan
Phir kyon Kaise Aur kab ban Gaya vo haiwan

Choti si hai zindagi bekar mein barbad na karo
Bomb phod masoomo ke khun se haath lal na karo
Nahi rakha kuch Es khoon kharabe
Mein
Pyar se sab masle suljha lo aapas mein

Todh dalo ab majhab ki Ye bediya
Mita dalo nafrat bhari ye duriya
Aao milkar dukh sukh baant le hum
Likho pyar ke geet na banao ab koi bomb