गर कर सको तो ना करो अपनों को खुद से दूर ,
साथ चल , हौसला दे , करो उनका मनोबल मजबूत !
चमचमाती इस दुनिया में , ना इतना खो जाओ ,
अपनों के दुःख दर्द को , महसूस ही ना कर पाओ!
ना जाने कौन सी डगर पर चलने लगे है हम ,
अपनों से खुद ही क्यों , दूर होने लगे है हम !
चंद टुकड़ो व शोहरत के लिए , क्यों बिकने लगे है अब ?
खुद पर छोड़ , दूसरों पर , भरोसा करने लगे क्यों अब हम ?
बनो ऐसी चट्टान , कोई पत्थर ना हिला पाए ,
खुद से करो इतना प्यार ,. कोई आत्मविश्वास ना तोड़ पाए !
जीवन है अनमोल , ना करो व्यर्थ , बेकार के झमेलो में ,
संवारो खुद को , ना हवाले करो दूसरों की रहमतो पे !
खुदा की दी हुई रहमतो का , करो तुम सम्मान ,
आत्महत्या कर इस जीवन का , ना करो अपमान 1
किसी से ना करो कभी इतना प्यार ,
लूट ले जाये , जो तुम्हारा संसार !
चंद दिनों के प्यार की खातिर, ना भुलाओ उनका प्यार ,
जन्म होते ही तुम पर उड़ेला , जिन्होंने बेशुमार प्यार !
हक़ है औरो का भी तुम्हारी इस ज़िन्दगी पे ,
कुछ गलत करने से पहले , सोचो ज़रा इस नज़रिए से !
कल तुम जो चले गए , क्या वो खुश रह पाएंगे ?
अरे तुम्हारे अपने तो यू ही , जीते जी मर जायेंगे !
आत्महत्या नहीं है , हर समस्या का हल ,
कब समझेंगे लोग , कब होंगे वो अकलमंद
Written by
मधु आनंद चंढोक
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